
देहरादून के ओएनजीसी चौक की घटना के बाद 3/4 वैसी ही घटनाएं ओर हो चुकी है बल्लूपुर चौक से कैंट चौक तक
कल जाखन के पास राजपुर रोड में दो कार 2स्कूटी ओर एक मोटरसाइकिल दुर्घटना का शिकार हुए।
03फरवरी को स्मार्ट वेंडर जोन 6no पुलिया में काले रंग के डीमैक्स इसुजु ने गलत व उल्टी दिशा से आकर गढ़वाली कॉलोनी डोभाल चौक निवासी स्कूटी सवार अधेड़ को मारी टक्कर,
स्कूटी पूरी तरह हुई क्षतिग्रस्त घायल के दो ऑपरेशन हो चुका ओर तीसरा बाकी कमसे कम 6माह के लिए बेड पेशेंट बना,
मित्र पुलिस असंवेदनशील है पूरे मामले में, पीड़ित के परिजनों को कई बार छोटी सी जानकारी के लिए थाना कोतवाली नेहरू कॉलोनी के आईओ कुलदीप सिंह चक्कर कटा रहे, अब तक गाड़ी को ट्रेस करने में असफल दिख रही पुलिस, सविन बंसल जिलाधिकारी महोदय और अजय सिंह कप्तान साहब की मेहनत के बावजूद शहर में में लगे कई सीसीटीवी कैमरे के दावे सिर्फ दावे ही साबित हो रहे, स्पीड नियंत्रण पर लापरवाह चालकों के लगाम कसने में विफल हो रही दून पुलिस।
ऊपर से Si कुलदीप सिंह जैसे पुलिस अधिकारी का व्यवहार कप्तान साहब की छवि पर बट्टा लगाने जैसा है, पीड़ित ही नहीं, मीडिया भी कोई जानकारी लेना चाहती हे तो उन्हें भी कोतवाली आने पर जानकारी देने को कहा जा रहा, दीपम सेठ डीजीपी उत्तराखंड पुलिस एवं जिला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह द्वारा आमजन का सहयोग, संवेदनशीलता और मित्र पुलिस को बट्टा रहे कुलदीप सिंह जैसे अधिकारी जो पीड़ितों संग भी सीधे मुंह बात ही नहीं करते।
कई मा बाप भी दुर्घटनाओं के जिम्मेदार, चलती स्कूटी और कार में मोबाइल से टेडी गर्दन कर बात करना, बच्चों को इलेक्ट्रिक गाड़ी ओर मोबाइल थमाकर अपना पिंडा छुड़ाने वाले अपने बच्चों के लिए गहरी खाई खोद रहे जिससे आजीवन पछताना पड़ सकता है ऊपर से इंटरनेट की अश्लीलता इनका भविष्य तय कर रही है।
अब बात करते हैं नशे की
दून बना नशेड़ियों का अड्डा, ट्रैफिक मैनेजमेंट फेल
रानीपोखरी हुक्का बार में मारपीट और जमकर हुआ बवाल।
हर रोज सैकड़ों शराबियों का हो रहा चालान कई नशा बेचने वाले पकड़े जा रहे फिर भी नशा बिक रहा धड़ल्ले से, ओर नशे में चला रहे गाड़िया, गिरफ्तारी ओर तमाम शख्ती के प्रयासों के बावजूद सुधारने की बजाय लोग उसके बाद भी नशा कर अंधा धुंध गाड़िया चला रहे।
ऐसे लोगों को मगर न ही मौत का खौफ, नशा ओर लापरवाही से ओवर स्पीड ही रोक पाया पर दूसरों की जान जरूर जोखिम में डाल रहे।
हालांकि उत्तराखंड की राजधानी वर्ष 2000 में देहरादून घोषित हो गई थी, लेकिन आज सही मायने में देहरादून बनी है नशे ओर दुर्घटनाओं की राजधानी।
सरकार एक ओर नशे के रोकथाम के लिए नए नए उपक्रम चलाती रहती मगर हर गली वाइन शॉप लगवा बैठी है सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना करते हुए मंदिर, स्कूल, हॉस्पिटल ओर सरकारी दफ्तरों के 200मीटर के अंदर नहीं खुलने चाहिए मगर धड़ल्ले से शराब और नॉन वेज बिक रहा है जो पूरे शहर को जाम करने का कारण भी बन रहा है।
मगर अफसोस सरकार मौन रहकर ढूंढ रही दोषियों को ओर पुलिस की विशेष ड्यूटी इन्हीं शराब की दुकानों के बाहर जाम न लगाने के लिए लगाई जाती है।
वाह रे उत्तराखंड सरकार नेशनल हाइवे भी इन्हीं शराब कारोबारियों ओर नेताओं के फायदे के लिए स्टेट रोड में तब्दील कर दी गई। ग्रॉसरी शॉप की तर्ज पर सरकार ने खुद ही ही गली मोहल्लों में शराब की दुकानें खुलवा दी है।
बिना पुलिस प्रशासन और सरकार की अनुमति या मिलीभगत के अफीम, चरस, गांजा, एम डी की गोलियां, नशे का इंजेक्नशन ओर दवा आदि नशा बॉर्डर के अंदर पहुंच कैसे रहा जो प्रदेश को उड़ता उत्तराखंड बना गया।