
पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा अपने रौद्र रूप में आक्रोश से भरी नजर आ रही है। सरकार आपदा प्रबंधन में फैल नजर आ रही है। यह सरकार की अदूरदर्शिता का ही नतीजा हे कि पूरे प्रदेश में जिस तरह वन, नदी, नाले, खाले कब्जाकर होटल, होम स्टे, रिसॉर्ट, स्कूल, कॉलेज, पेट्रोल पंप, हॉस्पिटल, अपार्टमेंट, मॉल आदि या अन्य व्यावसायिक गतिविधियां सरकार के मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी, एवं कर्मचारियों का खनन ओर भू माफियाओं से गठजोड़ कर प्रदेश के मैदानी ही नहीं पर्वतीय क्षेत्र का भी जिस तरह से दोहन किया गया है ऐसे आपदा की संभावना बढ़ जाना तय है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का भी बुरा हाल है 1400करोड़ से देहरादून को स्मार्ट बनाने के नाम पर धनराशि की बंदरबांट हो गई ओर शहर में जगह गड्ढे, ड्रेनेज सिस्टम फेल, दून पहले कभी जल भराव नहीं होता था। मगर बेतरतीब निर्माण, एम डी डी ए जैसे प्राधिकरणों की मिलीभगत से जा शहर बदसूरत कंक्रीट का जंगल बन गया, नहरें बंद हो गई, लोगों मकान के जमीन एक इंच भी नहीं छोड़ी, सब पक्का फर्श कर दिया तो पानी कहीं तो जाएगा ही, वर्षा या पानी डबल इंजन की मोहताज नहीं है।सबसे अधिक बुरा हाल हिमाचल प्रदेश में मंडी, कुल्लू, मनाली, सिरमौर वाले क्षेत्रों का है । जिस तरह शिमला में आपदा ने अपने रंग पिछले वर्षों से दिखाना शुरु किया वैसा अब जल्द मसूरी ओर नैनीताल को भी झेलना पड़ सकता है। इसके अलावा यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल और नॉर्थ ईस्ट के कई राज्य बरसाती दानव का शिकार हो रहे हैं ।
हाल ही में उत्तरकाशी गंगोत्री मार्ग पर हर्षल के पास थराली में बादल फटने से तबाही का मंजर सामने आया है। दुखद घटना, कई लोग हताहत हुए जबकि कई मकान, होटल, रिसॉर्ट सब इसकी चपेट में आ गए किसी को भागने या बचने का मौका तक नहीं मिला। इंसान अपनी ही करनी का श भुगतता है पर सरकार ओर नेताओं की भूमिका इसमें सबसे अधिक संदिग्ध होती है मनमर्जी से नदी के आसपास घर, होटल, रिसॉर्ट, स्कूल, अपार्टमेंट आदि बनाने वाले इसी दुखद घटनाओं के बावजूद भी चेताते ओर खुद मौत के मुंह में जा बसते हैं। कुदरत अपना प्रतिशोध तो अवश्य लेगी फिर सबको खामियाजा भुगतना पड़ेगा। सरकार तो सिर्फ मुआवजा की घोषणा कर इतिश्री कर लेगी।
देहरादून के बल्लीवाला चौक के पास घरों में पूरा पानी घुस गया यहां डबल इंजन सरकार फेल दिख रही है और चार चार इंजिन यानी मोटर लगा कर घर से पानी निकालने के प्रयास कर रहे, घर सारा सामान किचड़युक्त हो गया है। मंत्री ओर अधिकारी को स्मार्ट सिटी बजट/ पैसा हजम कर के भी डकार नहीं आ रहा। देखना यह है कि कुदरत इन भ्रष्ट नेताओं ओर अधिकारियों को कब बचने का मौका देती है।
बदसूरतीकरण ओर उगाही के सरकार नमन दून और प्रदेशवासी बड़े आपदा की इंतेज़ार में हैं। बहरहाल हर्षिल छेत्र में हुए अत्यंत दुखद घटना के मृतकों को श्रद्धांजलि, हताहतों को शीघ्र स्वस्थ होने की कामना।