
गड्ढायुक्त देहरादून की अधिकांश गालियां शहरी विकास विभाग के ठेका कंपनियों द्वारा सीवर लाइन ओर जल संस्थान के ठेका कंपनी द्वारा प्रेसरयुक्त पेयजल सप्लाई (जो पानी एक मंजिले पर भी भी चढ़ा प रहे) के नाम पर गड्ढे खोदकर राजधानी का बुरा हाल किया हुआ है।
रोज स्कूली छात्र, महिलाएं व दो पहिया वाहन चालक उन गड्ढों में गिरकर चोटिल हो रहे, गड्ढों में पहले मूर्खों ने कई जगह पेयजल प्लास्टिक लाइन एक मीटर की जगह एक फीट पर ही लगा दिया जो बार बार गाड़ी गुजरने से क्षतिग्रस्त होकर नाला की तरह पानी बह रहा ओर जल जीवन मिशन पर पलीता लगा रहे। कई जगह सीवर लाइनें चौक होती रही ओर कई जगह ओवर फ्लो मगर एडीबी का इतना पैसा लगने के बाद भी जनता को सिफर ही हासिल हुआ ओर विकास शून्य हुआ।
जो गड्ढे हल्की बरसात में ही किचड़ से सन जाता है और लोगों का निकलना दूभर हो जाता है। ऊपर से निरामुर्खों ने फिर सीवर लाइन के लिए गड्ढा खोद डाला और उसी दौरान सैकड़ों बार कई जगह पानी की पाइप टूटी और पेयजल की बर्बादी होती रही, संबंधित विभाग के जेई, एई आदि अन्य अधिकारियों ओर ठेका कर्मियों से भी इस विषय में लिखित, मौखिक व टेलिफोनिक शिकायती की गई। यहां तक कि जिलाधिकारी महोदय को भी इस विषय से संबंधित मौखिक व लिखित शिकायत वीडियो फुटेज सहित भेजे गए, प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस विषय में पूछा गया पर जिलाधिकारी की भी ठेका कंपनी ओर संबंधित विभाग नहीं सुन रहे।
15जून तक सभी खुदी गलियों और सड़को को तत्काल भरने ओर सड़क बनाने के जिलाधिकारी के आदेश भी प्री मानसून की बारिश में ही बह गए।
शासन प्रशासन सब फेल नजर आ रहा है इस आपदा को आमंत्रित करते समस्या से निजात पाने को।
आमजन मजबूरी में, स्कूल, दुकान, ऑफिस आ जा रहे गाड़िया फंस रही, लोग चोटिल हो रहे आपस में झगड़े हो रहे, पर किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। ओर पूरे शहर में जो जाम का झाम लगता है थर्ड क्लास ट्रैफिक सिस्टम और लाइट के कारण, बरसात के साथ ही उसमें ओर इजाफा होना तय है।
मुख्य सचिव महोदय को लगता है कि जिलाधिकारी के मॉक ड्रिल करवाने से उपरोक्त समस्याएं दूर हो जायेगी। 4महीने से जिस समस्या को जिलाधिकारी ओर संबंधित विभाग के अधिकारियों ने कुछ कर के नहीं दिखाया, फिर अब बरसात चालू होते ही कौनसा तीर मार लेंगे।
मॉक ड्रिल सरकार अपना पीठ थपथपाने ओर जनता को गुमराह करने के लिए हो रहा है, जो जनता के ही पैसे ओर समय की बर्बादी के सिवा कुछ भी नहीं। हो सके तो गड्ढा युक्त सड़को को यथा शीघ्र बनवाए ताकि आमजन को राहत मिल सके।
एक भी हादसा हुआ तो संबंधित ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर एफ आई आर दर्ज हो, विभागीय कर्मियों एवं संबंधित अधिकारियों के ऊपर भी मुकदमा होना चाहिए, आवाम के साथ हुए किसी भी प्रकार की घटना/ दुर्घटना के लिए यही सब अधिकारी जिम्मेदार होंगे, एवं आमजन इनके खिलाफ पुलिस में शिकायत करने के लिए मुक्त हों तथा प्राथमिकता से उनकी ओर से मुकदमे लिखे जाए।