
आज सरकार ने जिस तरह से जीएसटी पर आठ साल के बाद रिवाइज किया, जो बताता है कि सरकार में राहुल गांधी इंपैक्ट, राहुल का बढ़ता ग्राफ व लोकप्रियता, बिहार चुनाव हारने का खौफ साफ झलक रहा है। राहुल गांधी कई बार जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स का नाम दे कर संसद ओर आमजन सभा में मुद्दा उठा चुके हैं।
पहले जो जीएसटी चार स्लैब में वसूला जाता था और शिक्षा, स्वास्थ, ट्रांसपोर्ट, तेल, खाद्य संबंधित सभी वस्तुएं महंगाई की चपेट में थी, जिससे आमजन का जीवन दुभर हो गया था। आठ साल बाद केंद्र सरकार राहुल गांधी के मुद्दे को दबाव में आ कर जीएसटी कम करती नज़र आ रही है।
अब जीएसटी तीन स्लैब में वसूला जाएगा, जो 5%, 18% और 40% होगा जबकि पहले चार स्लैब में जो 5%, 12%, 18% और 28% तक शिक्षा, स्वास्थ, खाद्य, तेल, कृषि, पर्यटन व ट्रांसपोर्ट आदि से संबंधित सभी आवश्यक वस्तुओं पर भी सरकार भरी भरकम टैक्स वसूलती थी जिसका बोझ आमजन के ऊपर पड़ता था। लोअर, लोअर मिडिल क्लास और हाइयर मिडिल क्लास सब इस टैक्स से परेशान थे छोटे व्यापारी तो इस टैक्स से सबसे ज्यादा प्रभावित थे।
हालांकि आठ साल बाद राहुल गांधी के द्वारा हर जनसभा में ओर लोक सभा में जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बता कर मुद्दा बनाए जाने ओर आमजन की राहुल गांधी की तरफ बढ़ते चुकाव से सरकार ने इसमें बदलाव के संकेत 15 अगस्त 2025 को दिए थे, जिस पर अब क्रियान्वन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।
आमजन के हित में हालांकि शिक्षा, स्वास्थ, दवाएं, कृषि, खाद्य पदार्थों, तेल, भवन निर्माण सामग्री और ट्रांसपोर्टेशन आदि आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए। जबकि कुछ वस्तुओं पर न्यूनतम जीएसटी लिया जाता ओर अनावश्यक वस्तुओं व लग्जरी वस्तुओं पर सर्वाधिक जीएसटी वसूला जाता। सरकार द्वारा एजेंसियों के माध्यम से टोल प्लाजा पर गाड़ियों के सड़क पर चलने के लिए टोल टैक्स जनता से सीधे लूट है। सरकार को आर टी ओ का गाड़ियों पर रोड टैक्स या टोल टैक्स कोई एक विकल्प रखना चाहिए था। टोल प्लाजा का टाइम फ्रेम/ ड्यूरेशन या लागत का 20% अधिक वसूली के बाद टोल प्लाजा बंद करना भी निर्धारित होनी चाहिए।
फिलहाल केंद्र सरकार महंगाई, बेरोजगारी, किसानों विरोधी, अंबानी ओर अदाणी जैसे कुछ बड़े व्यापारियों को अनुचित लाभ, नशाखोरी, सरकारी स्कूल बंदी, हिन्दू मुस्लिम और धर्म के नाम पर अंधभक्तों की फौज खड़ी करने के लिए जानी जाती है। एफ डी ए ओर चीन का विरोध करने वाले अब सत्ता में रहते हुए उन्हीं को प्रमोट करते घूम रहे। चारों ओर हर छेत्र में केंद्र सरकार ओर उनकी नीति जनता से सिर्फ लगान रूपी टैक्स वसूली ही करती आ रही है। बैंक के हर ट्रांजेक्शन में जनता की जेबें कट रही है, मगर सरकार के मंत्री/ नेता व अधिकारी सब जनता से अलग अलग टैक्स के रूप में वसूली कर ऐश कर रहे हैं।
बहरहाल सरकार निःशुल्क जीएसटी न भी करे तो कम से कम राहुल गांधी के प्रभाव व दबाव में स्वास्थ, शिक्षा, कृषि, खाद्य पदार्थ, टूरिज्म, छोटे व्यापार व उद्योग, पेट्रोलियम आदि से संबंधित आवश्यक वस्तुओं पर 5% जीएसटी स्लैब के दायरे में लाना और नशा, लक्जरी व अनावश्यक वस्तुओं को 40% के हाइयर स्लैब जीएसटी रेंज में लाना आमजन को राहत देने के लिए देर से आए पर दुरुस्त आए कहा जा सकता है। पहली बार भाजपा नित केंद्र सरकार की मोदी सरकार में वित्त मंत्री सीता निर्मला रमन को किसी ने सही सलाह दे डाली। इसी कारण जीएसटी में रिवाइज हुआ ओर घरेलू उपयोग की वस्तुओं की कीमत में निश्चित रूप से कमी आएगी जो 22 सितंबर 2025 से लागू होगा और आगामी दशहरा ओर दीवाली में आवाम को कुछ राहत अवश्य ही मिलेगा। इस पूरे जीएसटी प्रकरण जो कमी आई उसके लिए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं। जिस तरह से आक्रामकता के साथ जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स का नाम दे कर बार बार सरकार पर दबाव बना कर जनहित में कार्य करने के लिए राहुल गांधी की जीत की तरह देखा जा रहा ओर कांग्रेस को एक ओर जीत की बधाई दी जा रही है।
बहरहाल जीत सत्ता पक्ष की हो या विपक्ष की एवं को इसका लाभ मिलना चाहिए। उम्मीद करते हैं कि सरकार पर ऐसा ही दबाव महंगाई के बाद अब युवाओं को रोजगार के लिए भी राहुल गांधी ओर विपक्ष एकजुट हो बनाए तो देश की युवा शक्ति को लाभ होगा।