25मई को संपन्न हुए,छटे चरण का मतदान प्रतिशत भी 70%पोलिंग के आंकड़े को छू नहीं पाया। और उसके बाद सातवे और अंतिम चरण के मतदान का शोर भी अब शांत हो गया और 1जून को मतदान होना है। मोदी चुनाव प्रचार खत्म कर के फिर एक ओर खुफा की और बाद रहे हैं परंतु अबकी अबकी बार ये गुफा कन्याकुमारी में विवेकानंद जी दरबार/गुफा में 4जून तक छुट्टियां मनाएंगे और चुनाव की थकान दूर करेंगे। 4 जून चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं। जिस तरह से लोग खुल कर राहुल गांधी या प्रियंका गांधी के समर्थन में महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर सड़को पर आए हैं और पहले चरण से ही इंडिया गठबंधन काटे की टक्कर देती नजर आ रही है। अगर सबकुछ ठीक रहा और गाड़ियों में पकड़े गए ईवीएम मशीनों के साथ ही, पोलिंग हुई गड़बड़ियों, पर भाजपा का चुनाव आयोग पर सीबीआई, ईडी, एनआईए, आइटीडी जैसे कई विभागों की तरह दबाव नही हुआ तो फेयर चुनावी नतीजा में काफी कुछ परिवर्तन की लहर देखने को मिल सकती है। और यदि किसी वजह से चुनावी परिणाम मोदी या भाजपा के हक में नही आई तो मोदी जी अपने कथन पूरा करने के लिए कन्याकुमारी की गुफाओं से भी झोला उठा कर, चल देंगे हिमालय की ओर या हो जायेंगे अंतर्ध्यान।
बहरहाल जो भी परिणाम अभी 4जून को आवाम के सामने आयेगा वो अभी भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल हम ये कह सकते हैं कि जितनी मेहनत अकेले मोदी ने मॉडलिंग कर के या बहुरूपिया बन देश के अलग अलग प्रदेश में अपना रोना रोया है और मोदी भक्ति में लीन पढ़े लिखे मूर्खो और मुद्दा विहिन समर्थकों के समर्थकों के सहारे,धर्म और जाति के नाम पर, सट्टा बाजार और शेयर मार्केट के अनुसार एनडीए गठबंधन को लोकसभा चुनाव में 230 से 285 सीट के बीच सत्तारूढ़ दल सिमट सकती है, बावजूद इसके भाजपा सरकार बना सकती है,जबकि विपक्ष की स्तिथि बेहतर होगी और मजबूत होगी । कुछ लोग तो इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का भी दावा भी कर रहे । बस फिलहाल तो अंतिम चरण के पोलिंग प्रतिशत पर बड़ोत्री की उम्मीद कर सकते है। एनडीए हो या इंडिया गठबंधन सब अपने अपने जीत का कयास लगा रहे हैं स्मरण रहे कि कम पोलिंग हुई है सो इसका का लाभ किस दल को मिलेगा ये 04 जून 2024 को ही पता चलेगा।
अंतिम चरण में आप सभी से अनुरोध है कि मुद्दो पर अधिक से अधिक वोट करें और निकम्मे जनप्रतिनिधि को संसद पहुंचने से रोके। यही लोकतंत्र के पर्व में आपके एक वोट की कीमत है । वर्ना 5सालो तक महंगाई, बेरोजगारी, स्वस्थ, शिक्षा के नाम पर त्राहिमाम के बावजूद नई गठित सरकार व बेकार जनप्रतिनिधि को कोसते रहे 5सालो तक